प्रिय पाठकों,
यह पुस्तक मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है जो मूल रूप से एक लघु शोध प्रबंध के रूप में लिखा गया था, लेकिन अब यह पुस्तक के रूप में प्रकाशित हो रहा है। इस प्रक्रिया के दौरान, मैंने अनेक संशोधन और संवादों के माध्यम से इसे एक पूर्णता तक पहुंचाने का प्रयास किया है। इस पुस्तक के प्रकाशन से पहले, मैं हमेशा से इसे एक संगठित रूप देने का संकल्प रखता था ताकि यह ज्ञानवर्धक और उपयोगी साबित हो सके।
मैं आपको बताना चाहूँगा कि इस पुस्तक का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा मेरे लघु शोध प्रबंध के समान है। अनुसंधान के क्षेत्र में गहनता से पढ़े गए विषय, सामग्री और प्रयोगों को संघटित करने का प्रयास इस पुस्तक के मूल आधार को बनाता है।
इसके अलावा, मैं आपसे इस विषय के प्रारंभ होने की एक कहानी साझा करना चाहूँगा। जब मैं लघु शोध प्रबंध के लिए विषय की तलाश में था, मेरे दिमाग में कुछ विचार उभरने लगे। उस समय, मुझे यूट्यूब पर हिंदी कविता चैनल पर, जेशन आयूब द्वारा नज़ीर अकबराबादी पर कुछ विचार सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। जेशन आली ने नज़ीर के उत्कृष्ट काव्य से प्रेरित होकर उनकी एक कविता और ‘आगरा बाजार’ नाटक के बारे में चर्चा की। जिस तरह से उन्होंने नज़ीर के शोध के प्रति आदरभाव प्रकट किया, उसने मुझे बहुत प्रभावित किया।
‘आगरा बाजार’ नाटक ने भी मेरे जीवन पर वही प्रभाव उत्तपन किया और मुझे एक विचारक के रूप में उत्तेजित किया कि कैसे नज़ीर जैसे अनुपम कवि के साहित्य का विश्लेषण करें और समझें।
इस पुस्तक को लिखने में अनेक महीने बिताए गए और मुझे गर्व है कि अब यह पुस्तक आप सभी के सामने है। मुझे उम्मीद है कि इस पुस्तक का पाठकों को विषय में विस्तारपूर्वक ज्ञान प्रदान करेगा और विचारों को नए आयाम देगा।
धन्यवाद,
कार्तिक मोहन डोगर
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