मैं मुंगेर हूँ, सनातन और योग का पहचान हूँ।
कभी राम-सीता भी पधारे, कभी दानवीर कर्ण भी रहे।
कभी राजा दशरथ की आस भी पूरा किया।
कभी द्वापर में पांडव को आश्रय भी दिया।
मैं मुंगेर हूँ सनातन और योग का पहचान हूँ।
माँ चंडी का स्थान हूँ, महापर्व छठ का उद्गम स्थान हूँ।
बुद्ध का बिहार हूँ, विश्व का व्यापार हूँ।
योग का केंद्र हूँ, शांति और शक्ति का संगम हूँ।
गंगा की लहरों में खेलते डॉल्फिन और प्रकृति का अभ्यारण हूँ।
मैं मुंगेर हूँ, सनातन और योग का पहचान हूँ।
कई राजाओं की राजधानी हूँ, मीर कासिम का क्रांति का स्रोत हूँ।
अंग्रेजों का स्वप्न नगरी हूँ, 1942 का आजाद भारत का हिस्सा हूँ।
हजारों हथियार तैयार कर अंग्रेजों और कभी चीन से भी लड़ा हूँ।
भारत का उद्योग और व्यापार का केंद्र रहा हूँ।
मैं मुंगेर हूँ, सनातन और योग का पहचान हूँ।
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